चित्तौड़ का किला भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो वीरता, बलिदान और गौरव की कहानियों से भरा हुआ है। यह किला राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सूची मै शामिल है |
चितौड़गढ़ किले का निर्माण राजा चित्रांगद मोर्य द्वारा 7 वी शताब्दी मै किया गया था तथा इसे चित्रकूट नाम दिया गया | चित्रांगद मोर्य का शासनकाल लगभग 728 ईस्वी के आसपास माना जाता है | चित्रांगद मोर्य के बाद चितोडगढ़ पर गुहिल राजवंश ने शासन किया | गुहिल राजवंश के प्रमुख शासक बप्पा रावल थे| जिन्होंने 8 वी शताब्दी मै चितोडगढ़ पर शासन किया |बप्पा रावल को मेवाड़ राज्य का संस्थापक माना जाता है|उन्होंने चितौड़गढ़ को अपनी राजधानी बनाया| और उनके वंशजो ने कई सदियों तक इस क्षेत्र पर शासन किया | इसके बाद सिसोदिया राजवंश ने इस पर शासन किया और राणा कुम्भा ,राणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे महान शासक इसी वंश के प्रमुख शासक थे|इन शासको के शासनकाल मै चितौड़गढ़ ने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओ और युद्धो का सामना किया |और राजपूत वीरता और संस्कृति का प्रतिक बन गया |
चित्तौड़ के किले के तीन प्रमुख साके (जौहर):
पहला साका:
सन 1303 ईस्वी मै राणा रतनसिंह के शासनकाल मै हुआ जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ के किले पर आक्रमण किया जिसमे रानी पद्मिनी सहित कई स्त्रियो ने जौहर किया तथा राणा रतनसिंह व सेकड़ो रणबांकुरो के साथ वीर गोरा व बादल वीरगति को प्राप्त हुए|
दूसरा साका:
सन 1534 ईस्वी मै राणा विक्रमादित्य के शासनकाल मै गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह के आक्रमण के समय हुआ था | जिसमे राजमाता हाड़ी रानी कर्मावती और अन्य वीरांगनाओ ने जौहर किया |
तीसरा साका:
सन 1567-68 ईस्वी मै राणा उदयसिंह के शासनकाल मै अकबर के आक्रमण के समय हुआ था | जिसमे रानी कर्णावती सहित अन्य स्त्रियो ने जौहर किया | इस युद्ध मै वीर जयमल मेडतिया एवं रावत पत्ता सिसोदिया तथा कल्ला जी राठोड़ अप्रतिम शोर्य का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए |
चित्तौड़ का किला वास्तुकला और संरचना मै:
चित्तौड़ का किला लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है और यह एक पहाड़ी पर स्थित है, जो समुद्र तल से 180 मीटर ऊपर है। किले में सात बड़े प्रवेश द्वार हैं, जिन्हें पोल कहा जाता है। ये पोल इस प्रकार हैं: पाडल पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और राम पोल।किले के अंदर कई महल, मंदिर, और जलाशय हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संरचनाएँ इस प्रकार हैं:
विजय स्तंभ:
विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1448 मै करवाया था | इसका निर्माण मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय के उपलक्ष्य मै किया गया | विजय स्तंभ 9 मंजिला है और इसकी ऊंचाई लगभग 122 फीट है| विजय स्तंभ के बाहरी हिस्से मै विभिन्न हिन्दू देवी – देवताओ , धार्मिक कथाओ और योद्धाओ कि मुर्तिया उकेरी गयी है |
पर्यटन और महत्व:
आज के समय में चित्तौड़ का किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और हर साल हजारों पर्यटक इसे देखने आते हैं। यह किला न केवल अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास के गौरवशाली अध्यायों का प्रतीक भी है।चित्तौड़गढ़ किला अपनी स्थापत्य कला, वीरता और बलिदान की कहानियों के साथ भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा |
महत्वपूर्ण बिंदु:
- चित्तौड़ का किला बेडच नदी के किनारे स्थित है |
- चित्तौड़ के अंतिम शासक महाराणा उदयसिंह द्वितीय थे जो मेवाड़ के सिसोदिया वंश के थे | उनके शासनकाल मै 1568 मै अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया और किले पर कब्ज़ा कर लिया | इस आक्रमण के बाद महाराणा उदयसिंह ने चित्तौड़गढ़ छोड़ दिया और उदयपुर की स्थापना की |
- चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ शहर मै स्थित है तथा उदयपुर से लगभग 120 किलोमीटर उतर-पूर्व मै स्थित है |